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मैं मजदूर हूँ मुझे देवों
की बस्ती से क्या?
अगणित बार धरा पर मैंने
स्वर्ग बनाये |
अम्बर पर जितने तारे उतने
वर्षों से,
मेरे पुरखों ने धरती का
रूप सवारा |
धरती को सुन्दरतम करने की
ममता में,
बीत चुका है कई पीढ़ियाँ
वंश हमारा |
और अभी आगे आने वाली सदियों
में ,
मेरे वंशज धरती का उद्धार
करेंगे |
इस प्यासी धरती के हित मैं
ही लाया था,
हिमगिरी चीर, सुखद गंगा
की निर्मल धारा|
मैने रेगिस्तानों की रेती
धो-धोकर
वंध्या धरती पर भी स्वर्णिम
पुष्प खिलाए|
i.
इन
पंक्तियों का उचित
शीर्षक लिखिए |
ii.
मजदूर
ने अनेक बार
धरती पर क्या
बनाया है ?
iii.
मजदूर
को देव लोक
से कुछ लेना
देना क्यों नहीं
है ?
iv.
मजदुर
के पूर्वजों ने
क्या कार्य किए
?
v.
रेगिस्तान
का कायाकल्प किसने
और कैसे किया ?
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